पत्रकारिता का किसे कहते है पत्रकारिता की परिभाषा, पत्रकारिता के प्रकार Patrakaarita kya hai?

पत्रकारिता किसे कहते है? परिभाषा, प्रकार | खोजी, ग्रामीण पत्रकारिता स्पष्ट कीजिए?

दोस्तों इस आर्टिकल में आपको बताया गया है कि पत्रकारिता किसे कहते है? पत्रकारिता की परिभाषा, पत्रकारिता के प्रकार | Patrakaarita kya hai?, खोजी पत्रकारिता क्या है? | साहित्यिक पत्रकारिता को संक्षेप में समझाइए | ग्रामीण पत्रकारिता क्यों आवश्यक है? | दोस्तों हमने पत्रकारिता, खोजी पत्रकारिता, ग्रामीण पत्रकारिता के बारे में विस्तार से बताया है। इस आर्टिकल में इन सभी प्रश्नो को नीचे विस्तार से समझाया गया। इस आर्टिकल को पूरा पढ़े। इसे सरल और सिंपल भाषा में बताया गया है।

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पत्रकारिता का किसे कहते है पत्रकारिता की परिभाषा, पत्रकारिता के प्रकार Patrakaarita kya hai?
Patrakarita kya hai?

पत्रकारिता किसे कहते है?

पत्रकारिता एक मीडिया क्षेत्र है जो समाज में घटनाओं, समाचार, और जानकारी को प्रसारित करने का कार्य करता है। पत्रकारों की मुख्य जिम्मेदारी होती है लोगों को सही तथ्य और समाचार प्रदान करना, ताकि समाज को उचित जानकारी प्राप्त हो सके। इसके अलावा, पत्रकारों का काम देश और समाज के अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर संवेदनशील रुझानों को दिखाना भी होता है। पत्रकारों का काम समाज में स्वतंत्र मीडिया के रूप में भी होता है, जहाँ वे समाज को स्वतंत्र और निष्पक्ष समाचार और जानकारी प्रदान करते हैं।

पत्रकारिता का आशय स्पष्ट कीजिए?

पत्रकारिता का अर्थ पत्रकारिता का फलक इतना व्यापक हो गया है कि इसे किसी निश्चित परिभाषा की सीमा में बांधना संभव नहीं हैं। विभिन्न विद्वानों ने इसकी अपने ढंग से परिभाषाएँ दी हैं।

पत्रकारिता की परिभाषा

सी. जी. मूलर के अनुसार – “पत्रकारिता सामूहिक ज्ञान का व्यवसाय है । इसमें तथ्यों की प्राप्ति, मूल्यांकन एवं ठीक-ठीक प्रस्तुतीकरण होता है ।”

डॉ. अर्जुन तिवारी ने ‘एन्साक्लोपीडिया आँफ ब्रिटेनिका’ के आधार पर इसकी परिभाषा इस प्रकार की हैं –

‘पत्रकारिता के लिए अंग्रेजी में ‘जर्नलिज्म’ शब्द का व्यवहार होता है जो कि उस ‘जर्नल’ शब्द से हैं। जिसका शाब्दिक अर्थ हैं ‘दैनिक’ ।

दिन-प्रतिदिन के क्रिया-कलापों, सरकारी बैठकों का विवरण ‘जर्नल’ में रहता था। सत्रहवीं एवं अठारहवीं शताब्दी में ‘पीरियॉडिकल’ के स्थान पर लैटिन शब्द ‘डियूरनल’ और ‘जर्नल’ के प्रयोग हुए बीसवीं सदी में गंभीर समालोचना और विद्वत्तापूर्ण प्रकाशन को इसके अंतर्गत माना गया। ‘जर्नल’ से बना ‘जर्नलिज्म’ अपेक्षाकृत व्यापक शब्द हैं। समाचार-पत्रों एवं विविधकालिक पत्रिकाओं के संपादन एवं लेखन और तत्संबंधी कार्यों को पत्रकारिता के अंतर्गत रखा गया। इस प्रकार समाचारों का संकलन प्रसारण, विज्ञापन की कला एवं पत्र का व्यावसायिक संगठन पत्रकारिता हैं। सम-सामयिक गतिविधियों के संचार से संबद्ध सभी साधन, चाहे वह रेडियो हो या टेलीविजन इसी के अंतर्गत आते हैं।’

पत्रकारिता के प्रकार

पत्रकारिता के अनेक रूप एवं प्रकार सामने आए हैं, जिनमें से कुछ प्रकार हैं –

समाचार पत्रकारिता

यह पत्रकारिता का मूल और सबसे प्रमुख रूप है, जिसमें पत्रकार विभिन्न समाचार प्रस्तुत करते हैं। समाचार पत्रकार समाज को महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं और लोगों को समय-समय पर जानकार देते हैं।

लेखन पत्रकारिता

इसमें पत्रकार विचार, विचारात्मक लेखन, और विशेष रूप से साहित्यिक प्रतिक्रियाओं के माध्यम से विचारों को व्यक्त करते हैं।

विज्ञान पत्रकारिता

इसमें पत्रकार विज्ञान और प्रौद्योगिकी से संबंधित खबरों और विशेषज्ञ जानकारी को साझा करते हैं।

वीडियो और टेलीविजन पत्रकारिता

टीवी और वीडियो पत्रकारिता के माध्यम से वीडियो संवाद, डॉक्यूमेंटरी, और टीवी सीरीज के रूप में खबरों को प्रस्तुत किया जाता है।

ऑनलाइन पत्रकारिता

इंटरनेट की विकास के साथ ही, ऑनलाइन पत्रकारिता बढ़ गई है, जिसमें ब्लॉग्स, न्यूज़ पोर्टल, सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स, और पॉडकास्ट्स के माध्यम से विचारों और जानकारी को साझा किया जाता है।

ग्रामीण पत्रकारिता

भारत गाँवों में बसता है इसलिए जनसंचार का सर्वाधिक प्रबन्धन ग्रामीण क्षेत्रों में किया जाना चाहिए। ग्रामीण व्यवस्था से सम्बन्धित पत्रकारिता को ग्रामीण पत्रकारिता का नाम दिया जाता है। भारत में ग्रामीण पत्रकारिता की स्थिति संतोषजनक नहीं कही जा सकती। छोटे-बड़े प्राय: सभी पत्र-उद्योग नगरों और महानगरों में ही स्थित हैं और पत्रकारों का ध्यान भी अधिकतर शहरी घटनाओं पर ही केन्द्रित रहता है।

खोजी पत्रकारिता क्या है ? स्पष्ट करते हुए एक निबन्ध लिखिए।

किसी समाचार को साक्ष्य एवं तथ्यपूर्ण बनाने के लिए जब पत्रकार अपने स्वयं के बल पर इन जानकारियों को खोज निकालता है, जो जानकारियाँ सामान्य जन के संज्ञान में नहीं होती, लेकिन सार्वजनिक महत्व की होती हैं. वह खोजी पत्रकारिता कहलाती हैं।

खोजी पत्रकारिता का आरम्भ अमेरिका से माना गया है तथा जोसेफ पलित्जर (जो कि न्यूयार्क वर्ल्ड के सम्पादक थे) को इसका जनक समझा जाता है। पत्रकारिता की यह महत्वपूर्ण विधा विश्व के प्रायः सभी देशों में खूब फल-फल रही हैं। भारत में भी खोजी पत्रकारिता की दिशा में कई उल्लेखनीय कार्य हुए हैं। इंडियन एक्सप्रेस के पत्रकार अरुण शौरी द्वारा ‘बोफोर्स काण्ड’ का उद्घाटन और ‘तहलका डॉट काम’ (रक्षा सौदों से सम्बन्धित) के रहस्योद्घाटन सभी की स्मृति में होंगे।

भारत में खोजी पत्रकारिता का प्रारम्भ ‘जुगवाणी’ नामक पत्रिका से हुआ था, जिसे देवव्रत नामक युवक ने प्रारम्भ किया था। सरकारी तंत्र के विरुद्ध उन्होंने खोजी पत्रकारों को अपना साथी बनाया। कालान्तर में ‘जुगान्तर’ नामक अखबार ने दमन और अत्याचार के विरुद्ध खोजी पत्रकारिता को अपना अस्त्र बनाया। आर.के. करंजिया ने मुम्बई से प्रकाशित ‘ब्लिट्ज’ अखबार द्वारा खोजी पत्रकारिता को नया आयाम दिया।

विगत कुछ दशकों से इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों (रेडियो, टेलीविजन) के बढ़ते प्रभाव के चलते खोजी पत्रकारिता को भी एक सशक्त माध्यम मिल गया। सर की परछाइयाँ, हैलो जिन्दगी, घूमता आईना, दूसरा रुख जैसे टेलीविजन कार्यक्रम अपनी खोजी रिपोर्ट के कारण लोकप्रिय रहे है। इन्टरनेट पत्रकारिता ने भी खोजी पत्रकारिता के आयामों को नई दिशा प्रदान की है। इस सम्बन्ध में ‘तहलका डॉट कॉम’ नामक वेब पत्र द्वारा रक्षा सौदों में घूसखोरी सम्बन्धी रिपोर्ट का उल्लेख किया है। वर्तमान में खोजी पत्रकारिता ने की भ्रष्टाचारों को उर्जागर किया है। इस प्रकार की पत्रकारिता को प्रिन्ट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया दोनों में ही इसे पर्याप्त ‘स्पेस’ दिया जा रहा है और पाठक और दर्शक भी पर्याप्त मिल रहे हैं।

साहित्यिक पत्रकारिता को संक्षेप में समझाइए।

अपने प्रारम्भ काल से आज तक पत्रकारिता (चाहे वह प्रिन्ट मीडिया हो या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया) ने बहुआयामी विकास किया है। सर्वप्रथम साहित्यिक पत्रिका को लिया जा सकता है। वस्तुत: भाषा, समाज और साहित्य के विकास में पत्रकारिता की बहुत बड़ी देन है। साहित्यिक पत्रिकाओं के माध्यम से ही छायावाद, प्रगतिवाद, प्रयोगवाद, सदृश युगप्रवृतियों का प्रवर्तन हुआ है। इसके द्वारा अनेक विचारधाराओं का जहाँ उन्मेष हुआ वहीं दूसरी ओर इन्हीं से विशिष्ट प्रणालियों का प्रचलन हुआ है वास्तविकता तो यह है कि साहित्य और पत्रकारिता एक-दूसरे के पूरक हैं। हिन्दी साहित्य के प्राय: सभी युग प्रवर्तक तथा यशस्वी रचनाकार- भारतेन्दु हरिशचन्द्र, महावीर प्रसाद द्विवेदी, सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला, गणेश शंकर विद्यार्थी, माखनलाल चतुर्वेदी, मुंशी प्रेमचंद, प्रतापनारायण मिश्र, बालकृष्ण भट्ट आदि लेखक और पत्रकार दोनों ही रूपों में उल्लेखनीय हैं।

ग्रामीण पत्रकारिता क्यों आवश्यक है?

भारत गाँवों में बसता है इसलिए जनसंचार का सर्वाधिक प्रबन्धन ग्रामीण क्षेत्रों में किया जाना चाहिए। ग्रामीण व्यवस्था से सम्बन्धित पत्रकारिता को ग्रामीण पत्रकारिता का नाम दिया जाता है। भारत में ग्रामीण पत्रकारिता की स्थिति संतोषजनक नहीं कही जा सकती। छोटे-बड़े प्राय: सभी पत्र-उद्योग नगरों और महानगरों में ही स्थित हैं और पत्रकारों का ध्यान भी अधिकतर शहरी घटनाओं पर ही केन्द्रित रहता है। अखबारों के संवाद सूत्र ग्रामीणों के स्तर पर उतरकर न तो उपयुक्त भाषा का ही प्रयोग कर पाते हैं और न ही ग्रामीण संस्कृति की जानकारी ही रखते हैं। दूसरी ओर गाँवों में अखबारों की पाठकीयता नहीं के बराबर है। विज्ञापनदाता तो बिल्कल ही नहीं हैं इसलिए मीडिया में गाँव का जनजीवन दिन – प्रतिदिन उपेक्षित होता जा रहा है। यद्यपि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में ‘चौपाल’ व ‘कृषि दर्शन’ सदृश कार्यक्रम गाँवों में पर्याप्त लोकप्रिय हैं। फिर भी आज कल्याणकारी पत्रकारिता के लिए आवश्यक है कि वह ग्रामीण संस्कति ग्रामीण समाजशास्त्र, ग्रामीण अर्थशास्त्र व ग्रामीण प्रशासन व्यवस्था को पर्याप्त स्पेस दें क्योंकि भारत मूलत: कृषि प्रधान देश होने के साथ यहाँ कि अधिकतर जनसंख्या गाँवों में ही निवास करती है।

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FAQ’s

पत्रकारिता किसे कहते है?

पत्रकारिता एक मीडिया क्षेत्र है जो समाज में घटनाओं, समाचार, और जानकारी को प्रसारित करने का कार्य करता है। पत्रकारों की मुख्य जिम्मेदारी होती है लोगों को सही तथ्य और समाचार प्रदान करना, ताकि समाज को उचित जानकारी प्राप्त हो सके।

पत्रकारिता की परिभाषा क्या है?

सी. जी. मूलर के अनुसार – “पत्रकारिता सामूहिक ज्ञान का व्यवसाय है । इसमें तथ्यों की प्राप्ति, मूल्यांकन एवं ठीक-ठीक प्रस्तुतीकरण होता है ।”

खोजी पत्रकारिता क्या है ?

किसी समाचार को साक्ष्य एवं तथ्यपूर्ण बनाने के लिए जब पत्रकार अपने स्वयं के बल पर इन जानकारियों को खोज निकालता है, जो जानकारियाँ सामान्य जन के संज्ञान में नहीं होती, लेकिन सार्वजनिक महत्व की होती हैं. वह खोजी पत्रकारिता कहलाती हैं।

भारत में खोजी पत्रकारिता का प्रारम्भ किस नामक पत्रिका से हुआ था?

भारत में खोजी पत्रकारिता का प्रारम्भ ‘जुगवाणी’ नामक पत्रिका से हुआ था, जिसे देवव्रत नामक युवक ने प्रारम्भ किया था।

ग्रामीण पत्रकारिता क्या है?

ग्रामीण पत्रकारिता एक प्रकार की पत्रकारिता है जो ग्रामीण क्षेत्रों में होती है और वहाँ के समाचार, जानकारी, और मुद्दों का कवरेज करती है। इसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण समुदायों को उनकी आवश्यकताओं के अनुसार जानकारी प्रदान करना और उनके मुद्दों को मीडिया के माध्यम से लोकतंत्र में भागीदारी करने में मदद करना होता है।

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